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कविता

किसान

विमलेश त्रिपाठी


गेहूँ की लहलहाती
बालियों के बीच
वह खड़ा है
सरसों के फूल की तरह
एकदम पियराया हुआ

 


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हिंदी समय में विमलेश त्रिपाठी की रचनाएँ